ก้าวเข้าสู่โลกแห่งเรื่องราวอันไม่มีที่สิ้นสุด
4.2
आइन्सटीन ने कहा था कि आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए यह विश्वास करना मुश्किल होगा कि हाड़-माँस का ऐसा भी कोई शख़्स इस धरती पर कभी चला था. गाँधी अपने जीते-जी किंवदंति हो गये थे. पर यह बात विचित्र है कि भारत ने बस उनका नाम याद रखा, उनकी ज़िंदगी के संघर्ष, उनके मूल्यों, विचारों से वह खुद को लगातार दूर करत चला गया. आज इस बात की सख़्त ज़रूरत है कि गाँधी को फिर से तलाशा जाये. यह किताब उसी तलाश का और गाँधी के जीवन का एक संक्षिप्त, लेकिन क़रीबी लेखा-जोखा है.
© 2020 Storyside IN (หนังสือเสียง ): 9789353984748
วันที่วางจำหน่าย
หนังสือเสียง : 15 พฤษภาคม 2563
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