गौरी की माँ की मृत्यु के बाद अब वह बिलकुल अकेली हो गई है. कुछ साल पहले ही गौरी के पिता की मृत्यु हो चुकी है. अब उसके चाचा-चाची उसे ताना मारते है और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी करते है. कुछ समय बाद गौरी को उसके चाचा-चाची अनाथालय भेज देते हैं. अनाथालय में मिस्टर बंसल गौरी को एक लिफाफा सौंपते हैं. ये लिफाफा गौरी की माँ का था. लिफाफे में एक पत्र और एक डेबिट कार्ड था. उसकी मां ने उनकी मृत्यु से पहले यह पत्र लिखा था और उन्होंने लिखा था कि वह गौरी के भविष्य के लिए कुछ पैसे छोड़ के जा रही हैं. वह चाहती है कि गौरी मुंबई जाए और फैशन डिजाइनर बनने के अपने सपने को पूरा करे. गौरी की देखभाल की जिम्मेदारी उसके पिता के कॉलेज के दोस्त रमा शंकर प्रताप सिंह लेते हैं. उनका परिवार गौरी को अपने साथ मुंबई ले आता है. यहाँ से शुरू होती है गौरी के जीवन के संघर्ष की कहानी। क्या उसे कोई ऐसा साथी मिलेगा जो उसके सपनों को पूरा करने में उसकी मदद करेगा?
© 2023 Pratilipi FM (หนังสือเสียง ): 9789357766081
วันที่วางจำหน่าย
หนังสือเสียง : 1 กรกฎาคม 2566
गौरी की माँ की मृत्यु के बाद अब वह बिलकुल अकेली हो गई है. कुछ साल पहले ही गौरी के पिता की मृत्यु हो चुकी है. अब उसके चाचा-चाची उसे ताना मारते है और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी करते है. कुछ समय बाद गौरी को उसके चाचा-चाची अनाथालय भेज देते हैं. अनाथालय में मिस्टर बंसल गौरी को एक लिफाफा सौंपते हैं. ये लिफाफा गौरी की माँ का था. लिफाफे में एक पत्र और एक डेबिट कार्ड था. उसकी मां ने उनकी मृत्यु से पहले यह पत्र लिखा था और उन्होंने लिखा था कि वह गौरी के भविष्य के लिए कुछ पैसे छोड़ के जा रही हैं. वह चाहती है कि गौरी मुंबई जाए और फैशन डिजाइनर बनने के अपने सपने को पूरा करे. गौरी की देखभाल की जिम्मेदारी उसके पिता के कॉलेज के दोस्त रमा शंकर प्रताप सिंह लेते हैं. उनका परिवार गौरी को अपने साथ मुंबई ले आता है. यहाँ से शुरू होती है गौरी के जीवन के संघर्ष की कहानी। क्या उसे कोई ऐसा साथी मिलेगा जो उसके सपनों को पूरा करने में उसकी मदद करेगा?
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