कई बार पिकनिक का बुनिया बनाता कोई और था खा कोई और जाता था। भंग कोई और खाता रंग कोई और जमा लेता। सुमन की प्रेम कहानी मनोज बाबू के साथ जब सुलझती दिखाई देने लगी तो वहीं से वह उलझती दिखाई देने लगती है। कहा ही गया है जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होता है।
วันที่วางจำหน่าย
หนังสือเสียง : 28 กุมภาพันธ์ 2565
कई बार पिकनिक का बुनिया बनाता कोई और था खा कोई और जाता था। भंग कोई और खाता रंग कोई और जमा लेता। सुमन की प्रेम कहानी मनोज बाबू के साथ जब सुलझती दिखाई देने लगी तो वहीं से वह उलझती दिखाई देने लगती है। कहा ही गया है जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होता है।
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ก้าวเข้าสู่โลกแห่งเรื่องราวอันไม่มีที่สิ้นสุด
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