AAP BAHOT AJEEB HAIN: JAUN ELIYA Jaun Eliya
ก้าวเข้าสู่โลกแห่งเรื่องราวอันไม่มีที่สิ้นสุด
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अब अपनी रूह के छालों का कुछ हिसाब करूँ मैं चाहता था चिराग़ों को आफ़ताब करूँ
बुतों से मुझको इजाजत अगर कभी मिल जाए तो शहर भर के ख़ुदाओं को बेनकाब करूँ
उस आदमी को बस एक धुन सवार रहती है बहुत हसीं है ये दुनिया इसे ख़राब करूँ
ये जिन्दगी जो मुझे कर्जदार करती है कहीं अकेले में मिल जाए तो हिसाब करूँ
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หนังสือเสียง : 1 มกราคม 2566
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