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भक्ति के भक्त का सुंदर जीवन
"रामकृष्ण परमहंस" यह ऑडियो बुक एक भक्त के सुंदर जीवन को दर्शाती है, जो प्रत्यक्ष सरश्री की आवाज में है। इसे सुनकर निश्चित ही आप भक्ति भाव में लीन हो जाएँगे।
श्री रामकृष्ण परमहंस, हुगली ज़िले के एक छोटे से गाँव कामारपुकुर से कोलकाता रोज़गार के लिए भाई के पास आए थे। लेकिन उन्हें रोज़गार से अधिक काली माँ के चरणों में संतुष्टि महसूस होती थी। माँ काली के सामने वे जिस भावातीत अवस्था में बैठते थे, वह किसी अभ्यास या तप-जप से प्राप्त नहीं होती थी। इसका अनुभव उन्हें छह वर्ष की आयु में ही हो गया था और तभी से वे भक्ति के रंग में रंग गए थे।
रामकृष्ण परमहंस भाव में जीते यानी हृदय के तल पर रहते। उनका जीवन भक्ति से सराबोर था। इस ऑडियो बुक में श्री रामकृष्ण परमहंस के जीवन की कुछ प्रेरक घटनाओं, उनकी निष्कपट भक्ति और शिक्षाओं का वर्णन सरश्री की वाणी में बहुत ही रोचक तरीके से किया गया है। रामकृष्ण परमहंस की जीवनी जानकर यह बोध प्राप्त होता है कि एक जीवन, महाजीवन कैसे बनता है और उसके संपर्क में आनेवाले किस चेतना को प्राप्त करते हैं।
सुंदर और सरल शैली में बताई गई यह ऑडियो बुक रामकृष्ण परमहंस और उनके शिष्यों के बीच हुई अनोखी बातचीत के पीछे छिपे गुढ़ ज्ञान को सहजता से श्रोताओं के सामने लाती है। कैसे रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्यों की परीक्षा लेते और कैसे कुछ शिष्य उनकी परीक्षा लेते, इन खट्टे-मीठे किस्सों का इस ऑडियो बुक में सरश्री ने बड़ी सुंदरता से वर्णन किया है। निश्चित ही उनके जीवन पर कही गई यह ऑडियो बुक सुनकर आप भी भक्ति के भक्त बन जाएँगे।
भक्ति की इस यात्रा में आप जानेंगे -
* रामकृष्ण परमहंस की मासूम भक्ति कैसी थी?
* भक्ति की गहराई में कैसे लीन हुए रामकृष्ण परमहंस?
* संसारी लोगों को उन्होंने कौन सा भक्ति सूत्र दिया?
* कैसे करते थे वे ईश्वर की सराहना?
* क्या है ईश्वर के कार्य करने का तरीका?
* रामकृष्ण के जीवन में उनकी पत्नी शारदा देवी की भूमिका क्या थी?
* अंतिम समय में रामकृष्ण परमहंस ने अपने भक्तों को कौन से इशारे किए?
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หนังสือเสียง : 26 ธันวาคม 2563
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