दिलीप साहब की याद में एक मुशायरा मुंबई में रखा जाता है, जिसमें जुम्मन मियाँ को भी शिरकत करना है. चूंकि जुम्मन मियाँ दिलीप साहब के बहुत बड़े फैन हैं, इसलिए इस बात को लेकर थोड़ा इमोशनल भी हैं. ऐसे में उनकी मुलाक़ात होती है मुंबई में फिल्म स्टार बनने जा रहे, उभरते कलाकार, राम खिलावन से. जानिये क्या हुआ जब रामखिलावन से मिले शायर जुम्मन राशिद ख़ान.
วันที่วางจำหน่าย
หนังสือเสียง : 13 กรกฎาคม 2565
दिलीप साहब की याद में एक मुशायरा मुंबई में रखा जाता है, जिसमें जुम्मन मियाँ को भी शिरकत करना है. चूंकि जुम्मन मियाँ दिलीप साहब के बहुत बड़े फैन हैं, इसलिए इस बात को लेकर थोड़ा इमोशनल भी हैं. ऐसे में उनकी मुलाक़ात होती है मुंबई में फिल्म स्टार बनने जा रहे, उभरते कलाकार, राम खिलावन से. जानिये क्या हुआ जब रामखिलावन से मिले शायर जुम्मन राशिद ख़ान.
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