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4.3
พัฒนาตนเอง
मिस-कम्युनिकेशन से गुड-कम्युनिकेशन तक
राह में जाते हुए दो मित्र आपस में मिले।दोनों को कम सुनाई देता था। मिलते ही एक ने पूछा, ‘कहाँ जा रहे हो?’ दूसरे ने उत्तर दिया, ‘मैं मंदिर जा रहा हूँ।’ जिस पर पहले ने कहा, ‘अच्छा-अच्छा, मुझे लगा कि तुम मंदिर जा रहे हो।’ इस पर दूसरे ने फिर से जवाब दिया, ‘नहीं-नहीं मैं तो मंदिर जा रहा था।’
खैर, यह तो एक चुटकुला था मगर इससे समझनेवाली बात यह है कि कई बार ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी होता है। हम कहते कुछ हैं और सामने वाला समझता कुछ और है, सामने वाला कहता कुछ है और हम समझते कुछ अलग हैं।
इस तरह रोज़मर्रा के जीवन में मिस-कम्युनिकेशन होती रहती है क्योंकि हम कम्युनिकेशन करने का एक ही तरीका जानते हैं। हम उसी तरह से बातचीत करते हैं, जो हम बचपन से सुनते और सीखते आए हैं।
अब समय आया है गुड-कम्युनिकेशन के तरीके जानने का क्योंकि आपको अपने भाव और विचारों को व्यक्त करने के लिए कम्युनिकेशन करना ही पड़ता है।वरना सामनेवालाआपके मन की बात कैसे समझेगा?
अत: छोटी से लेकर बड़ी बात और सरल से लेकर जटिल बात को दूसरों तक बेहतरीन तरीके से पहुँचाने के लिए इस पुस्तक में पढ़ें-- अपने शब्दों को सकारात्मक तरीके से कैसे प्रस्तुतकरेें
- मिस-कम्युनिकेशन से हुई गलतफहमियों को बेहतरीन तरीके से कैसे दूर करें
- सामनेवाले की भावनाओं कोसमझतेहुए कैसे बात करें
- किसी बात के लिए ‘ना’ कैसे कहें
- बातचीत के दौरान अपने मुद्दे पर अटल कैसे रहें
- सीधी मगर आदरयुक्त बात कैसे कहें
यदि आप कम्युनिकेशन के बेहतरीन और अलग आयाम जानना चाहते हैं तो इस पुस्तक का लाभ लें औरअपने कम्युनिकेशन में नया चाँद लगाएँ।
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หนังสือเสียง : 30 กันยายน 2564
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