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विचित्र होली - मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी - Vichitra Holi - A Story by Munshi Premchand "विचित्र होली" मुंशी प्रेमचंद की एक मार्मिक और अनोखी कहानी है, जो होली के त्योहार के सामाजिक और मानवीय पहलुओं को उजागर करती है। यह कहानी प्रेम, अपनत्व और सामाजिक भेदभाव पर गहरा संदेश देती है।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि त्योहारों का असली अर्थ केवल उत्सव नहीं है, बल्कि इंसानों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ाना है। मुंशी प्रेमचंद की इस कालजयी रचना को सुनें और समाज को एक नई दृष्टि से देखने की प्रेरणा लें।
🔸 कहानी का नाम: विचित्र होली
🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद
🔸 मुख्य विषय: होली का असली अर्थ और सामाजिक समरसता
🌟 कहानी के मुख्य बिंदु:
होली के त्योहार का मानवीय पहलू
सामाजिक भेदभाव को दूर करने का संदेश
प्रेम और सद्भाव की भावना
मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के एक महान लेखक थे। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन वे प्रेमचंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गांव में हुआ था। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं और संघर्षों को उजागर किया।
प्रेमचंद की प्रमुख कृतियों में 'गोदान', 'गबन', 'निर्मला', 'सेवासदन', 'रंगभूमि' और 'कफन' शामिल हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज के निम्न और मध्यम वर्ग की जिंदगी की सजीव तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। वे सामाजिक न्याय, नैतिकता और मानवीय मूल्यों के पक्षधर थे। प्रेमचंद का साहित्य सरल भाषा, मार्मिक शैली और यथार्थवादी दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और इसे जनसाधारण के करीब लाया। 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनका साहित्य आज भी प्रेरणादायक है और हिंदी साहित्य का अमूल्य हिस्सा है।
© 2025 LOTUS PUBLICATION (หนังสือเสียง ): 9798347841141
วันที่วางจำหน่าย
หนังสือเสียง : 16 มีนาคม 2568
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