नहुष - जन्म और देवी अशोकसुंदरी से विवाह

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  • Episode
      21
  • Published
      21 ก.ย. 2565
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Episode
21 of 63
ระยะเวลา
8นาที
ภาษา
ภาษาฮินดู
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वैवस्वत मनु की प्रथम संतान इला और चन्द्रपुत्र बुध के पुत्र पुरुरवा ने चन्द्रवंश की स्थापना की और वर्षों धर्मपूर्वक प्रजापालन किया। महाराज पुरुरवा और अप्सरा उर्वशी के पुत्र आयु ने उनके बाद चन्द्रवंश की बागडोर सम्हाली। आयु अपने पिता के अनुरूप ही राजधर्म का पालन करने वाले प्रतापी व प्रजावत्सल राजा थे। इतना ऐश्वर्य और वैभव पाने के बाद भी आयु का मन हमेशा निसंतान होने के दुःख में डूबा रहता था। उनके पश्चात चन्द्रवंश के अस्तित्व का क्या होगा, इसी चिंता में वह सदैव उलझे रहते।

मन में एक उत्तराधिकारी की कामना लिए राजा आयु ने महारानी प्रभा के साथ भगवान दत्तात्रेय की शरण में जाने का निर्णय लिया। दोनों ने सौ वर्षों तक भगवान दत्तात्रेय के आश्रम में रहकर उनकी सेवा की। उनकी सेवा व भक्ति से संतुष्ट होकर त्रिदेवों के अवतार भगवान दत्तात्रेय ने उन्हें एक चक्रवर्ती पुत्र का वरदान दिया। इस प्रकार संतान प्राप्ति का वरदान पाकर महाराज आयु और महारानी प्रभा राजमहल में लौट आए और पुत्र जन्म की प्रतीक्षा करने लगे।

दूसरी ओर एक दिन देवी पार्वती व महादेव अलकापुरी के सुंदर नंदनवन में विचरण करते हुए इच्छापूर्ति करने वाले कल्पवृक्ष के समीप रुके। महादेव ने देवी पार्वती से कल्पवृक्ष से अपनी कोई भी इच्छा प्रकट करने को कहा। महादेव के सदा योग साधना में लीन होने का कारण कभी-कभी देवी पार्वती का मन उदास हो जाता था, इसलिए उन्होंने कल्पवृक्ष से अपने एकाकीपन को दूर करने के लिए एक पुत्री की इच्छा व्यक्त की। कल्पवृक्ष ने देवी की मनोकामना पूर्ण करते हुए उन्हे एक सुंदर कन्या प्रदान की। अपने अकेलेपन के शोक को हरने के लिए जन्मी इस कन्या का नाम देवी ने अशोकसुन्दरी रखा।

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