خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
4.4
الأدب الكلاسيكي
टोपी शुक्ला ‘आधा गाँव’ के ख्यातिप्राप्त रचनाकार राही मासूम रज़ा की एक अत्यन्त प्रभावपूर्ण और मर्म पर चोट करने वाली कहानी है। टोपी शुक्ला ऐसे हिन्दुस्तानी नागरिक का प्रतीक है जो मुस्लिम लीग की दो राष्ट्रवाली थ्योरी और भारत विभाजन के बावजूद आज भी अपने को विशुद्ध भारतीय समझता है - हिन्दू-मुस्लिम या शुक्ला, गुप्त, मिश्रा जैसे संकुचित अभिधानों को वह नहीं मानता। ऐसे स्वजनों से उसे घृणा है जो वेश्यावृत्ति करते हुए ब्राह्मणपना बचाकर रखते हैं, पर स्वयं उससे इसलिए घृणा करते हैं कि वह मुस्लिम मित्रों का समर्थक और हामी है। अन्त में टोपी शुक्ला ऐसे ही लोगों से कम्प्रोमाइज नहीं कर पाता और आत्महत्या कर लेता है। व्यंग्य-प्रधान शैली में लिखा गया यह उपन्यास आज के हिन्दू-मुस्लिम सम्बन्धों को पूरी सच्चाई के साथ पेश करते हुए हमारे आज के बुद्धिजीवियों के सामने एक प्रश्नचिद्द खड़ा करता है।
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 11 سبتمبر 2020
أكثر من 200000 عنوان
وضع الأطفال (بيئة آمنة للأطفال)
تنزيل الكتب للوصول إليها دون الاتصال بالإنترنت
الإلغاء في أي وقت
قصص لكل المناسبات.
حساب واحد
حساب بلا حدود
1 حساب
استماع بلا حدود
إلغاء في أي وقت
قصص لكل المناسبات.
حساب واحد
حساب بلا حدود
1 حساب
استماع بلا حدود
إلغاء في أي وقت
قصص لكل المناسبات.
حساب واحد
حساب بلا حدود
1 حساب
استماع بلا حدود
إلغاء في أي وقت
عربي
الإمارات العربية المتحدة