‘कश्मीर ३७० किलोमीटर’ यह उपन्यास कश्मीर के सामाजिक ताने बाने को वक्त के साथ ध्वस्त होने की कहानी बयां करता है और साथ ही वहाँ के शर्मनाक व दहशतनाक सामाजिक पहलुओं की गहन पडताल भी करता है| किस्सागोई शैली में लिखा गया यह उपन्यास पागलपन और साम्प्रदायिक उन्माद में हिंसक हो चुके समाज की व्यथा-कथा है| कश्मीर जैसे ज्वलंत विषय पर बिना किसी पूर्वग्रह और बोझिल विश्लेषण से बचते हुये लेखक ने पुस्तक की जानकारियों को स्वाभाविक अंदाज में संप्रेषित किया है|
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 31 مارس 2021
الوسوم
‘कश्मीर ३७० किलोमीटर’ यह उपन्यास कश्मीर के सामाजिक ताने बाने को वक्त के साथ ध्वस्त होने की कहानी बयां करता है और साथ ही वहाँ के शर्मनाक व दहशतनाक सामाजिक पहलुओं की गहन पडताल भी करता है| किस्सागोई शैली में लिखा गया यह उपन्यास पागलपन और साम्प्रदायिक उन्माद में हिंसक हो चुके समाज की व्यथा-कथा है| कश्मीर जैसे ज्वलंत विषय पर बिना किसी पूर्वग्रह और बोझिल विश्लेषण से बचते हुये लेखक ने पुस्तक की जानकारियों को स्वाभाविक अंदाज में संप्रेषित किया है|
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