خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
दुष्यन्त सिर्फ़ अपने होने में मुकम्मल बयान है। और उसके माथे पर चोट का गहरा निशान उसका जमाल है। ये गहरा निशान ख़ुद में सदियों पर फैली हुई इन्सानी दुःख दर्द की आहें समाए, अपनी ज़ात में रौशन है। ये गहरा निशान जब भी शाइरी में दाख़िल होता है तो ज़ुल्म सहते इन्सान के गले से अपने आप फूट पड़ता है। वो सूर्य का स्वागत भी करता है और एक कंठ विशपायी भी, वो साये में धूप भी चुनता है और आवाज़ों के घेरे में क़ैद होकर रोता भी है, आज़ादी की पुकार भी बनता है। वक़्त के थपेड़े सहते हुए इन्सान के अंदर का ज्वालामुखी फूटेगा तो लावा के रूप में ये अल्फ़ाज़ निकलेंगे ही, इनको सुनकर ज़ालिम के कानों पर जमी बर्फ़ पिघलेगी ही और सूरत बदलेगी ही।
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
Written by Abhinandan Pandey
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 30 أغسطس 2021
أكثر من 200000 عنوان
وضع الأطفال (بيئة آمنة للأطفال)
تنزيل الكتب للوصول إليها دون الاتصال بالإنترنت
الإلغاء في أي وقت
قصص لكل المناسبات.
حساب واحد
حساب بلا حدود
1 حساب
استماع بلا حدود
إلغاء في أي وقت
قصص لكل المناسبات.
حساب واحد
حساب بلا حدود
1 حساب
استماع بلا حدود
إلغاء في أي وقت
قصص لكل المناسبات.
حساب واحد
حساب بلا حدود
1 حساب
استماع بلا حدود
إلغاء في أي وقت
عربي
الإمارات العربية المتحدة