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पितामह कहते हैं कि सत्य के सिवा दूसरी कोई वस्तु राजाओं के लिये सिद्धिकारक नहीं है। सत्यपरायण राजा इस लोक और परलोक दोनों में सुख प्राप्त करता है।
राजाओं के लिये सत्य से बढ़कर दूसरा कोई ऐसा साधन नहीं है जो प्रजावर्ग में उसके प्रति विश्वास उत्पन्न कर सके।
गुणवान् शीलवान् दान्तो मृदुर्धम् र्यो जितेन्द्रियः।
सुदर्शः स्थूललक्ष्यश्च न भ्रश्येत सदा श्रियः।।
अर्थात् जो राजा गुणवान, शीलवान, मन और इंद्रियों को संयम में रखने वाला, कोमल स्वभाव, धर्मपरायण, प्रसन्नमुख और दान देने वाला उदारचरित है, वह कभी राजलक्ष्मी से भ्रष्ट नहीं होता। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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