श्रीकान्त शरतचन्द्र की प्रतिभा स्त्रियों की यन्त्रणा के चित्रण में अपने शिखर पर पहुँची है। उनका लगभग हर उपन्यास किसी-न-किसी रूप में स्त्रियों के जीवन की विडम्बनाओं के इर्द-गिर्द बुना हुआ है। ‘श्रीकान्त’ का नायक एक घुमक्कड़ है लेकिन उसकी इस यात्रा में उपन्यास कई ऐसी महिलाओं को हमारे सामने लाता है जिनके माध्यम से हम तत्कालीन समाज और व्यक्ति, पवित्रता और पाप की अवधारणाओं और विद्रोह और स्वीकृति जैसे शाश्वत द्वन्द्वों के अन्तर्संघर्ष को समझने की दिशा में सोचना शुरू करते हैं। इस उपन्यास में आईं राजलक्ष्मी, अन्नदा दीदी और सुनन्दा जैसे स्त्री पात्र आज भी हमें अपने आसपास के ही चरित्र लगते हैं। इनके जीवन और उसकी परिस्थितियों के द्वारा आज भी औरत के उस दुख को जाना जा सकता है जिसमें आज भी कोई बहुत ज्यादा कमी नहीं आई है। उल्लेखनीय है कि इस उपन्यास का अनुवाद नए सिरे से किया गया है, उन तमाम अंशों को साथ रखते हुए जो अभी तक उपलब्ध अनुवादों में छोड़ दिए गए थे। एक सम्पूर्ण उत्कृष्ट उपन्यास। श्रीकान्त शरतचन्द्र की प्रतिभा स्त्रियों की यन्त्रणा के चित्रण में अपने शिखर पर पहुँची है। उनका लगभग हर उपन्यास किसी-न-किसी रूप में स्त्रियों के जीवन की विडम्बनाओं के इर्द-गिर्द बुना हुआ है। ‘श्रीकान्त’ का नायक एक घुमक्कड़ है लेकिन उसकी इस यात्रा में उपन्यास कई ऐसी महिलाओं को हमारे सामने लाता है जिनके माध्यम से हम तत्कालीन समाज और व्यक्ति, पवित्रता और पाप की अवधारणाओं और विद्रोह और स्वीकृति जैसे शाश्वत द्वन्द्वों के अन्तर्संघर्ष को समझने की दिशा में सोचना शुरू करते हैं। इस उपन्यास में आईं राजलक्ष्मी, अन्नदा दीदी और सुनन्दा जैसे स्त्री पात्र आज भी हमें अपने आसपास के ही चरित्र लगते हैं। इनके जीवन और उसकी परिस्थितियों के द्वारा आज भी औरत के उस दुख को जाना जा सकता है जिसमें आज भी कोई बहुत ज्यादा कमी नहीं आई है। उल्लेखनीय है कि इस उपन्यास का अनुवाद नए सिरे से किया गया है, उन तमाम अंशों को साथ रखते हुए जो अभी तक उपलब्ध अनुवादों में छोड़ दिए गए थे। एक सम्पूर्ण उत्कृष्ट उपन्यास।
© 2018 Storyside IN (Audiobook): 9789352846108
Release date
Audiobook: 23 April 2018
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श्रीकान्त शरतचन्द्र की प्रतिभा स्त्रियों की यन्त्रणा के चित्रण में अपने शिखर पर पहुँची है। उनका लगभग हर उपन्यास किसी-न-किसी रूप में स्त्रियों के जीवन की विडम्बनाओं के इर्द-गिर्द बुना हुआ है। ‘श्रीकान्त’ का नायक एक घुमक्कड़ है लेकिन उसकी इस यात्रा में उपन्यास कई ऐसी महिलाओं को हमारे सामने लाता है जिनके माध्यम से हम तत्कालीन समाज और व्यक्ति, पवित्रता और पाप की अवधारणाओं और विद्रोह और स्वीकृति जैसे शाश्वत द्वन्द्वों के अन्तर्संघर्ष को समझने की दिशा में सोचना शुरू करते हैं। इस उपन्यास में आईं राजलक्ष्मी, अन्नदा दीदी और सुनन्दा जैसे स्त्री पात्र आज भी हमें अपने आसपास के ही चरित्र लगते हैं। इनके जीवन और उसकी परिस्थितियों के द्वारा आज भी औरत के उस दुख को जाना जा सकता है जिसमें आज भी कोई बहुत ज्यादा कमी नहीं आई है। उल्लेखनीय है कि इस उपन्यास का अनुवाद नए सिरे से किया गया है, उन तमाम अंशों को साथ रखते हुए जो अभी तक उपलब्ध अनुवादों में छोड़ दिए गए थे। एक सम्पूर्ण उत्कृष्ट उपन्यास। श्रीकान्त शरतचन्द्र की प्रतिभा स्त्रियों की यन्त्रणा के चित्रण में अपने शिखर पर पहुँची है। उनका लगभग हर उपन्यास किसी-न-किसी रूप में स्त्रियों के जीवन की विडम्बनाओं के इर्द-गिर्द बुना हुआ है। ‘श्रीकान्त’ का नायक एक घुमक्कड़ है लेकिन उसकी इस यात्रा में उपन्यास कई ऐसी महिलाओं को हमारे सामने लाता है जिनके माध्यम से हम तत्कालीन समाज और व्यक्ति, पवित्रता और पाप की अवधारणाओं और विद्रोह और स्वीकृति जैसे शाश्वत द्वन्द्वों के अन्तर्संघर्ष को समझने की दिशा में सोचना शुरू करते हैं। इस उपन्यास में आईं राजलक्ष्मी, अन्नदा दीदी और सुनन्दा जैसे स्त्री पात्र आज भी हमें अपने आसपास के ही चरित्र लगते हैं। इनके जीवन और उसकी परिस्थितियों के द्वारा आज भी औरत के उस दुख को जाना जा सकता है जिसमें आज भी कोई बहुत ज्यादा कमी नहीं आई है। उल्लेखनीय है कि इस उपन्यास का अनुवाद नए सिरे से किया गया है, उन तमाम अंशों को साथ रखते हुए जो अभी तक उपलब्ध अनुवादों में छोड़ दिए गए थे। एक सम्पूर्ण उत्कृष्ट उपन्यास।
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