आधा गाँव राही मासूम रज़ा ‘आधा गाँव’ भाषा, शिल्प, कथ्य और कथा-विन्यास की दृष्टि से लाजवाब उपन्यास है।...हिन्दी का पहला ऐसा उपन्यास जिसमें भारत-विभाजन के समय की शिया मुसलमानों की मनःस्थितियों का बेलाग और सटीक शब्दांकन मिलता है। ये मनःस्थितियाँ उत्तर प्रदेश के गाजीपुर ज़िले के गंगौली गाँव को केन्द्र में रखकर उकेरी गई है। 1947 के परिप्रेक्ष्य में लिखे गए इस उपन्यास में साम्प्रदायिकता के विरुद्ध गहरा प्रहार है। यह प्रहार सृजनात्मक लेखन का सबूत बनकर राष्ट्रीयता के हक़ में खड़ा हो जाता है। इस उपन्यास में लेखकीय चिन्ता है कि गंगौली में अगर गंगौली वाले कम और शिया, सुन्नी और हिन्दू ज़्यादा दिखाई देने लगे तो गंगौली का क्या होगा? यही वह ख़ास चिन्ता है जिसने इस उपन्यास को अद्वितीय की श्रेणी में ला खड़ा करता है क्योंकि गंगौली को भारत मान लेने की गुंजाइश है जहाँ विविध धर्मां के लोग रहते हैं...गंगोली से उठा यह प्रश्न जब भारत के सन्दर्भ में उठता है तब इस उपन्यास में निहित राष्ट्रीयता का सन्दर्भ व्यापक हो जाता है। गतिशील रचनाशिल्प आंचलिक भाषा सौन्दर्य, सांस्कृतिक परिवेश का जीवन्त चित्रण, सहज-सटीक दो टूक टिप्पणियों वाले संवाद इस उपन्यास की विशेषता हैं जो ‘आधा गाँव’ को हिन्दी उपन्यासों में विशिष्ट दर्जा दिलाते हैं।
© 2017 Storyside IN (Audiobook): 9789386679093
Release date
Audiobook: 17 August 2017
आधा गाँव राही मासूम रज़ा ‘आधा गाँव’ भाषा, शिल्प, कथ्य और कथा-विन्यास की दृष्टि से लाजवाब उपन्यास है।...हिन्दी का पहला ऐसा उपन्यास जिसमें भारत-विभाजन के समय की शिया मुसलमानों की मनःस्थितियों का बेलाग और सटीक शब्दांकन मिलता है। ये मनःस्थितियाँ उत्तर प्रदेश के गाजीपुर ज़िले के गंगौली गाँव को केन्द्र में रखकर उकेरी गई है। 1947 के परिप्रेक्ष्य में लिखे गए इस उपन्यास में साम्प्रदायिकता के विरुद्ध गहरा प्रहार है। यह प्रहार सृजनात्मक लेखन का सबूत बनकर राष्ट्रीयता के हक़ में खड़ा हो जाता है। इस उपन्यास में लेखकीय चिन्ता है कि गंगौली में अगर गंगौली वाले कम और शिया, सुन्नी और हिन्दू ज़्यादा दिखाई देने लगे तो गंगौली का क्या होगा? यही वह ख़ास चिन्ता है जिसने इस उपन्यास को अद्वितीय की श्रेणी में ला खड़ा करता है क्योंकि गंगौली को भारत मान लेने की गुंजाइश है जहाँ विविध धर्मां के लोग रहते हैं...गंगोली से उठा यह प्रश्न जब भारत के सन्दर्भ में उठता है तब इस उपन्यास में निहित राष्ट्रीयता का सन्दर्भ व्यापक हो जाता है। गतिशील रचनाशिल्प आंचलिक भाषा सौन्दर्य, सांस्कृतिक परिवेश का जीवन्त चित्रण, सहज-सटीक दो टूक टिप्पणियों वाले संवाद इस उपन्यास की विशेषता हैं जो ‘आधा गाँव’ को हिन्दी उपन्यासों में विशिष्ट दर्जा दिलाते हैं।
© 2017 Storyside IN (Audiobook): 9789386679093
Release date
Audiobook: 17 August 2017
Overall rating based on 72 ratings
Heartwarming
Thought-provoking
Mind-blowing
Download the app to join the conversation and add reviews.
Showing 8 of 72
aseem
12 Dec 2020
loved every moment of it. will listen to it again
Madan
15 Nov 2021
So down to earth book. Narration too good.
Amit
3 Apr 2023
Very well written and narrated book. It's written with transparency and thoughts. Also gives detailed life of people living in Gangoli before and after independence
Monu
4 Sept 2022
Please add more Rahi Masoom Raza book
Nilesh Shashikant
16 Jan 2023
Book Name: आधा गांव Language: हिन्दी/ उर्दू Author Name: राही मासूम रज़ा Publisher: राजकमल Published In:१९६६Pages: ३४४Price: ३५५ ₹बहुत दिनों के बाद एक अच्छी किताब हाथ लगी। जिसे पढ़ने के बाद बतौर पाठक वो मुझे और समृद्ध कर गयी। कुछ किताबें किसी गाइड कि तरह हमें एक जमाने कि सैर करा लातीं हैं। वो ज़माना, वें दिन, वें लोग उनके रिश्ते, उनका जीवन जिसमें झांककर हम और समृद्ध हो जातें हैं। ऐसा ही कुछ अनुभव किया है मैंने इस किताब को... आधा गांव को पढ़कर। इस किताब कि कहानी उत्तर प्रदेश के एक गांव गंगौली के मुस्लिम शिया समुदाय पर आधारित है। इस उपन्यास को..., लोगों ने, उनके जीवन ने, वहां की उनकी बोली भाषा भोजपुरी उर्दू ने, उनके रस्मों रिवाजों ने इतना समृद्ध किया है कि इस उपन्यास को पढ़ना सचमुच पाठकों के लिए एक तृप्त कर देने वाला अनुभव रहेगा। राही मासूम रज़ा जी को इस किताब ने एक पहचान दी। ऐसी समृद्ध किताब को पढ़कर समृद्ध होने का अवसर न गंवाएं। जरुर पढें आधा गांव।धन्यवाद। 🙏😊- निलेश शशिकांत सामंत ©️
Hitesh
23 Aug 2022
this is a work of genius, masterful work of Rahi Masum Raza, what a nostalgic depiction of rural life, should be read and listened by everyone. Narration is flawless.
aslam
14 Dec 2021
Classic by dr. Rahi masum raza. Please upload works of rahul sankrityayan and kameshwar
Alpana
29 May 2021
Heartwarming indeed
Step into an infinite world of stories
English
India