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4.1
พัฒนาตนเอง
आलस्य के चक्रव्यूह का तोड़
इंसान की असफलता के पीछे जिस विकार का सबसे बड़ा हाथ होता है, वह है ‘आलस्य’ जिसे तमोगुण, सुस्ती, अति निद्रा, तंद्रा भी कहा गया है। आलस्य बढ़ने पर हमारे भीतर कुछ अतिरिक्त विकार भी प्रवेश कर जाते हैं। जैसे बात-बात पर झूठ बोलना, आराम में व्यवधान पड़ने पर क्रोध, चिड़चिड़ापन आना, शरीर का निष्क्रिय होकर बीमारियों से घिर जाना, समय से काम पूरे न होने पर असफलताओं का मिलना, जिस कारण दुःख और दरिद्रता का चक्रव्यूह शुरू हो जाता है।
इस पुस्तक में सुुस्ती के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए क्रमबद्ध कदमों में मार्गदर्शन दिया गया है। एक-एक कदम उठाने से सुस्ती की वृत्ति रूपी दीवार पर कड़े प्रहार होंगे और लगातार प्रहार से यह दीवार बिखर जाएगी।
इस पुस्तक का यही उद्देश्य है कि आपके भीतर छिपकर बैठा तमोगुण प्रकाश में आए। आप इसे और इसके दुष्प्रभावों को जानकर, इससे मुक्त होने के लिए प्रभावित हों। यह पुस्तक आपको इसकी सरल तकनीकें बताती है-
* अपनी ऊर्जा कैसे बढ़ाई जाए
* आप आलसी हैं या अप्रेरित, यह कैसे जाना जाए
* सुस्ती को चुस्ती में कैसे बदला जाए
* नापसंद, मुश्किल, बोरिंग व समय न मिलनेवाले कामों को
कैसे पूरा किया जाए
* हर काम को कैसे पूरा किया जाए
* मन की आदतों को कैसे बदला जाए
* सुबह जल्दी उठने के ६ अचूक उपायों का उपयोग कैसे किया जाए
วันที่วางจำหน่าย
หนังสือเสียง : 12 พฤษภาคม 2563
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