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4.8
วรรณกรรมคลาสสิค
संत शिरोमणि गुरु नानक सिख धर्म के प्रवर्तक और सिख धर्मावलंबियों के प्रथम गुरु हैं। नानक को ईश्वर का अवतार माना जाता है। बचपन से ही उनके मुक्त विचारों से उनकी महानता का परिचय मिलता है। पिता ने सौदा करने के लिए पैसे दिए तो उन्होंने भूखों को भोजन कराकर ‘सच्चा सौदा’ किया। नौकरी की तो वहाँ जी खोलकर अन्न-धन दान किया और खजाना भरा-का-भरा रहा। देश-विदेश में घूमकर गुरु नानक ने सच्चे धर्म और विचारों का प्रचार किया। बाबर को सद्बुद्धि दी तो उसने सभी कैदियों को आजाद कर दिया। मक्का में जहाँ उनके चरण घूमे; वहीं मदीना भी घूम गया। उन्होंने अपने आचरण से दरशाया कि सच्चे और सरल भक्त को ईश्वर सहज ही हर जगह मिल सकता है। अपने अंतिम कुछ समय गृहस्थ धर्म का निर्वहण करके उन्होंने अपने अनुयायियों को सद्गृहस्थ होने की सीख दी। मानवता; साहस; बलिदान और त्याग जैसे सद्गुणों का विकास करनेवाले संत शिरोमणि गुरु नानक के प्रेरणाप्रद जीवन की गौरवगाथा है यह पुस्तक।
© 2020 Storyside IN (หนังสือเสียง ): 9789353983628
วันที่วางจำหน่าย
หนังสือเสียง : 22 มิถุนายน 2563
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