ก้าวเข้าสู่โลกแห่งเรื่องราวอันไม่มีที่สิ้นสุด
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ศาสนา&จิตวิญญาณ
योगी, योग द्वारा वह हमेशा प्रभु से जुड़ा रहता है और कर्म योग, ज्ञान योग, ध्यान योग और भक्ति योग के साथ-साथ वह एक नया और महत्वपूर्ण योग भी करता है जिससे ‘प्रेम योग’ कहते हैं। जब योगी प्रेमी में प्रभु देखता है और एहसास करता है की प्रेमी सिर्फ प्रेमी नहीं, प्रेमी तो प्रभु की अभिव्यक्ति है तो वह ‘प्रेम योगी’ कहलाता है। इसके साथ साथ, योगी सिर्फ़ प्रेमी में ही नहीं, वरन् सभी जीव जंतुओं को भी प्रभु जानकर प्रेम करता है। योगी जब भी चारों योग अवस्थाओं से दूर होता है, और संसार में जा अटकता है, तो भी प्रेम योग के द्वारा वह प्रभु से जुड़ा रहता है। ये हैं योग की पांच अवस्थाऐं।
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หนังสือเสียง : 26 กรกฎาคม 2565
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