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עיון
वोल्गा से गंगा राहुल सांकृत्यायन की सर्वाधिक चर्चित कृति है। यह बीस कहानियों का संग्रह है, जो बताता है कि हमारे समाज की शुरुआत मातृसत्तात्मक थी। यह कहानियाँ स्त्री के वर्चस्व और उसकी प्रधानता को लेकर बेजोड़ हैं।
कहने को कहानियाँ काल्पनिक हैं, जो इंडो-यूरोपीय लोगों के इतिहास के बारे में है, जिन्हें बाद में आर्यों के नाम से जाना गया। इसके बाद भारतीय उपमहाद्वीप के सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में प्रसार हुआ। पुस्तक 6000 ईसा पूर्व में शुरू होती है और महात्मा गॉंधी के 1942 में शुरू हुए भारत छोड़ो आंदोलन पर समाप्त होती है। घुमक्कड़ होने के चलते सांकृत्यायन 8000 वर्षों की अवधि और लगभग 10,000 किमी की दूरी के ताने—बाने को जन साधारण की भाषा में गुथते हैं। इन कहानियों में वेद, पुराण, महाभारत, ब्राह्मण ग्रंथों, उपनिषदों आदि को आधार बनाया गया है। वह कहते भी हैं — 'कमर बांध लो भावी घुमक्कड़ों, संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है।'
भारतीय साहित्य के इतिहास में यह पुस्तक एक क्लासिक मानी जाती है।
© 2024 Sanage Publishing House (ספר דיגיטלי): 9789362059833
תאריך פרסום
ספר דיגיטלי: 29 בינואר 2024
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