3.7
Biographies
करण जौहर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के शीर्ष निर्देशकों, निर्माताओं और लेखकों में से एक हैं। सन् 1976 में धर्मा प्रोडक्शंस की शुरुआत करनेवाले बेहद सम्मानित फिल्म निर्माता यश जौहर के पुत्र, करण ने सन् 2004 में अपने पिता की मृत्यु के बाद उनकी विरासत को आगे बढ़ाया। वह एक पुरस्कृत निर्देशक हैं, जिन्होंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’ (1995) के सेट पर फिल्म निर्माता आदित्य चोपड़ा के असिस्टेंट के तौर पर कॅरियर की शुरुआत की। बतौर निर्देशक, करण की पहली फिल्म थी ‘कुछ कुछ होता है’ (1998), जो ब्लॉकबस्टर साबित हुई। उन्होंने छह बड़ी फिल्मों का निर्देशन किया और बीस से ज्यादा फिल्में बनाईं। सभी में बॉलीवुड के बड़े-बड़े स्टार शामिल थे। हाल ही में उन्होंने अनुराग कश्यप की ‘बॉम्बे वेलवेट’ (2015) के साथ एक्टिंग में भी कदम रखा। बहुमुखी प्रतिभा के धनी करण भारत के सबसे अधिक देखे जानेवाले सेलिब्रिटी चैट शो ‘कॉफी विद करण’ को भी होस्ट करते हैं। उन्होंने फैशन डिजाइन में भी हाथ आजमाया, और ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’, ‘मोहब्बतें’ तथा ‘दिल तो पागल है’ जैसी लोकप्रिय फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम तक डिजाइन किए। फिल्म ‘बिरादरी’ में बेहद लोकप्रिय और पसंद किए जानेवाले करण को इंडस्ट्री के प्रवक्ता के रूप में देखा जाता है। सन् 2007 में उन्हें विश्व आर्थिक फोरम की ओर से 250 ग्लोबल यंग लीडर्स में से एक चुना गया था। पूनम सक्सेना ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की नेशनल वीकेंड एडिटर हैं। लगभग दस साल तक वह इस अखबार के लिए लोकप्रिय टी.वी. रिव्यू कॉलम ‘स्मॉल स्क्रीन’ भी लिखती रहीं। हाल ही में, उन्होंने धर्मवीर भारती के ऐतिहासिक उपन्यास, ‘गुनाहों का देवता’ का अंग्रेजी में अनुवाद चंदर एंड सुधा के नाम से किया है|
Translators: Nitin Mathur
Release date
Audiobook: 25 May 2020
Tags
3.7
Biographies
करण जौहर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के शीर्ष निर्देशकों, निर्माताओं और लेखकों में से एक हैं। सन् 1976 में धर्मा प्रोडक्शंस की शुरुआत करनेवाले बेहद सम्मानित फिल्म निर्माता यश जौहर के पुत्र, करण ने सन् 2004 में अपने पिता की मृत्यु के बाद उनकी विरासत को आगे बढ़ाया। वह एक पुरस्कृत निर्देशक हैं, जिन्होंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’ (1995) के सेट पर फिल्म निर्माता आदित्य चोपड़ा के असिस्टेंट के तौर पर कॅरियर की शुरुआत की। बतौर निर्देशक, करण की पहली फिल्म थी ‘कुछ कुछ होता है’ (1998), जो ब्लॉकबस्टर साबित हुई। उन्होंने छह बड़ी फिल्मों का निर्देशन किया और बीस से ज्यादा फिल्में बनाईं। सभी में बॉलीवुड के बड़े-बड़े स्टार शामिल थे। हाल ही में उन्होंने अनुराग कश्यप की ‘बॉम्बे वेलवेट’ (2015) के साथ एक्टिंग में भी कदम रखा। बहुमुखी प्रतिभा के धनी करण भारत के सबसे अधिक देखे जानेवाले सेलिब्रिटी चैट शो ‘कॉफी विद करण’ को भी होस्ट करते हैं। उन्होंने फैशन डिजाइन में भी हाथ आजमाया, और ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’, ‘मोहब्बतें’ तथा ‘दिल तो पागल है’ जैसी लोकप्रिय फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम तक डिजाइन किए। फिल्म ‘बिरादरी’ में बेहद लोकप्रिय और पसंद किए जानेवाले करण को इंडस्ट्री के प्रवक्ता के रूप में देखा जाता है। सन् 2007 में उन्हें विश्व आर्थिक फोरम की ओर से 250 ग्लोबल यंग लीडर्स में से एक चुना गया था। पूनम सक्सेना ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की नेशनल वीकेंड एडिटर हैं। लगभग दस साल तक वह इस अखबार के लिए लोकप्रिय टी.वी. रिव्यू कॉलम ‘स्मॉल स्क्रीन’ भी लिखती रहीं। हाल ही में, उन्होंने धर्मवीर भारती के ऐतिहासिक उपन्यास, ‘गुनाहों का देवता’ का अंग्रेजी में अनुवाद चंदर एंड सुधा के नाम से किया है|
Translators: Nitin Mathur
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Audiobook: 25 May 2020
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Heartwarming
Inspiring
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Sanjivani
17 Jun 2020
ग्रेट, इतने दिन करण को tv पे देखते थे, उनकी बायो ग्राफी सूनके लागा,ये सब इन खुलले बोलणे को हिम्मत लगती है,मान गये,इतने सच्चे दिलवाला इंसांन नाही देखा,धन्य हो उनके पेरेन्ट्स जिनको इतना होनहार पुत्र मिला,सूनकर बहोत अच्छा लागा,भगवान उन्हे बहोत आयु दे,उनको भी 2,3 बच्चे हो,उनकी इच्छा पुरी हो,याही प्रार्थनाआपको बहोत धन्यवाद,इस app की कारण ये सून सकी, थँक्स
Wadekarn
11 Dec 2021
Most honestly written and inspiring biography.
Prateek
21 May 2021
Good book written by karan and good efforts by voice artist.... I have notice he love to show his voice skill and he copy style of shahrukh very well
M
16 Aug 2021
.
Arun
24 Sept 2021
One time listening.
Vivek
12 Jun 2021
Okay okay type hai
Mahesh
7 Apr 2021
Nice
dipraj
25 May 2020
The best thing about the author is the way he has written it so honestly. There were lots of things which were very interesting. His school days and the way he runs away from school and his father's affection towards him. His mental frame of mind when his father gets diagnosed with cancer. His relations with Shahrukh and his family. His first work profile as a costume designer. His relations with various people in the industry and going through the ups and downs of life. His beginning with the films like DDLJ, and directing his starter films such Kuch Kuch Hota Hei and Kabhi Khushi Kabhi Gum. His ability to write good speeches and when Shahrukh was in tears when he read the speech for Kuch Kuch Hota Hei, he remembered his own mother. The comparison between today's generation of actors and the previous ones. There are much more things to say, but that would act as a spoiler.Overall, an interesting way of expressing things in his life. While listenin, you do not like to leave the book.
amar
29 Jul 2020
yes
Mangal
26 May 2020
very nice & descriptive. worth listening.
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