4.7
Non-Fiction
भारत व पाकिस्तान के बीच हुए सन् 1965 के ऐतिहासिक युद्ध को पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह पुस्तक उस युद्ध के वीरों, हुतात्माओं और उनके पराक्रम की शौर्यगाथा है। 1 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान द्वारा जम्मू व कश्मीर के छंब जिले पर हमले से ऐसे युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें बड़े पैमाने पर हथियारों व सैन्य-शक्ति का उपयोग किया गया। यह भारतीय सेना के सैनिकों का साहस व कुर्बानियाँ ही थीं, जिनके कारण हमने पाकिस्तानी घुसपैठ का समुचित उत्तर देते हुए देश को जबरदस्त सैन्य विजय दिलाई। सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई पाँच प्रमुख लड़ाइयों के ऐतिहासिक तथ्य और एक्शन-प्लान तथा युद्ध में लड़नेवाले सेवानिवृत्त सैनिकों के साक्षात्कारों द्वारा उन घटनाओं का भी विवरण दिया गया है, जिनका आज तक कभी खुलासा नहीं हुआ। इस पुस्तक में हाजी पीर, असल उत्तर, बार्की, डोगराई व फिल्लोरा में हुई लड़ाइयों और उनमें पराक्रम दिखानेवाले हमारे बहादुर युद्ध-नायकों से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियों को भी स्थान दिया गया है। युद्ध-इतिहास की यह पुस्तक हमारे सैनिकों के अप्रतिम युद्ध-कौशल और उनके पराक्रम को नमन-वंदन करने का एक विनम्र प्रयास है|
© 2020 Storyside IN (Audiobook): 9789389860535
Translators: Nitin Mathur
Release date
Audiobook: 4 June 2020
Tags
4.7
Non-Fiction
भारत व पाकिस्तान के बीच हुए सन् 1965 के ऐतिहासिक युद्ध को पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह पुस्तक उस युद्ध के वीरों, हुतात्माओं और उनके पराक्रम की शौर्यगाथा है। 1 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान द्वारा जम्मू व कश्मीर के छंब जिले पर हमले से ऐसे युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें बड़े पैमाने पर हथियारों व सैन्य-शक्ति का उपयोग किया गया। यह भारतीय सेना के सैनिकों का साहस व कुर्बानियाँ ही थीं, जिनके कारण हमने पाकिस्तानी घुसपैठ का समुचित उत्तर देते हुए देश को जबरदस्त सैन्य विजय दिलाई। सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई पाँच प्रमुख लड़ाइयों के ऐतिहासिक तथ्य और एक्शन-प्लान तथा युद्ध में लड़नेवाले सेवानिवृत्त सैनिकों के साक्षात्कारों द्वारा उन घटनाओं का भी विवरण दिया गया है, जिनका आज तक कभी खुलासा नहीं हुआ। इस पुस्तक में हाजी पीर, असल उत्तर, बार्की, डोगराई व फिल्लोरा में हुई लड़ाइयों और उनमें पराक्रम दिखानेवाले हमारे बहादुर युद्ध-नायकों से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियों को भी स्थान दिया गया है। युद्ध-इतिहास की यह पुस्तक हमारे सैनिकों के अप्रतिम युद्ध-कौशल और उनके पराक्रम को नमन-वंदन करने का एक विनम्र प्रयास है|
© 2020 Storyside IN (Audiobook): 9789389860535
Translators: Nitin Mathur
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Step into an infinite world of stories
Overall rating based on 53 ratings
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Heet
27 Nov 2021
અદભુત પુસ્તક.. દરેક એ સાંભળવા જેવું
Praveen
21 Sept 2020
#storytel #experience यह टिपिकल वीर-गाथा इस मामले में नहीं है कि यहाँ अतिशयोक्ति नहीं है। युद्ध पर लिखी किताबों में वीर रस तो होता ही है, लेकिन यह क्रोनिकल भी तो है। तथ्य रखने होंगे। 1965 के युद्ध दुनिया के सबसे बड़े टैंक-युद्धों में है, जिसकी उस स्तर पर चर्चा नहीं होती। हम 1971 की जिस तरह तन कर बात करते हैं, 1962 और ‘65 की कुछ कम करते हैं, जबकि सेना के लिए सबसे महत्वपूर्ण और शौर्यपूर्ण युद्धों में ये रहे हैं।इसको सुनते हुए एक तरंग की तरह रसों में परिवर्तन हो रहा था। कभी आपकी छाती तन जाती है, तो कभी आँखें नम हो जाती है। दुख होता है। इस कहानी में ‘बॉर्डर’ फ़िल्म के ढाई किलो हाथ वाले अभिनेता नहीं हैं, इसमें उसी युद्ध के वास्तविक लोग हैं। वे मर चुके हैं, या वृद्ध और अपंग हो चुके है। उनसे ढूँढ-ढूँढ कर बात की गयी है। उस बतकही को पढ़ने का अनुभव जैसा भी हो, सुनने का अनुभव युद्ध का सीधे प्रसारण लग रहा था। जैसे महाभारत के संजय कथा कह रहे हों। यह उपमा अतिशयोक्ति मेरी तरफ से है, लेखिका की तरफ से नहीं।प्रस्तावना स्वर्गवासी रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की है, जिन्होंने अपनी मृत्यु से पहले यह गाथा सिर्फ चार महीने की डेडलाइन देकर लिखवा ली। इसमें यह माना गया है कि पाकिस्तान की पैटन टैंक हमारी सैन्य-क्षमता को कड़ी टक्कर दे रहे थे। उनकी रणनीति भी अच्छी थी, और भारतीय सेना ने अपने कई जवान और हथियार खोए। यह कुटिल विश्व कूटनीति का भी उदाहरण थी कि किस तरह अमरीका और सोवियत कठपुतली का खेल खेल रहे थे। इस युद्ध को जनसंग्राम कहा गया जब पंजाब के किसान फौज के साथ कंधा मिला कर सीमा पर सहयोग दे
Sachin
31 Jan 2022
Very inspiring fact and courage of our soldiers toward our mother land.
Sanjay
26 Feb 2022
Great to hear from your best narator and thanks for the excellent histry narrationHats off
dipraj
27 Jun 2020
Amazing tale of bravery and sacrifice, jai hind. Nice job in collating and narrating the stories of bravery and sacrifice in detail. Hope one day our kids read this as part of curriculum.
रामकृष्ण
16 Feb 2022
जय हिंद.
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India