जब बाबूराव बागुल की आत्मकथा सबसे पहले उनकी मातृभाषा मराठी में प्रकाशित हुई थी तो उसने मराठी साहित्य और समाज को झकझोर दिया था. भारतीय समाज में जाति पर आधारित दमन और अपमान की साहसभरी कथा कहने कहने वाले यह पुस्तक अब एक क्लासिक मानी जाती है और दलित साहित्य में मील का पत्थर. उत्कृष्ट हिंदी अनुवाद में. ©Samvad Prakashan
© 2018 Storyside IN (Audiobook): 9789353642334
Translators: Sanjya Bhise
Release date
Audiobook: 29 March 2018
Tags
जब बाबूराव बागुल की आत्मकथा सबसे पहले उनकी मातृभाषा मराठी में प्रकाशित हुई थी तो उसने मराठी साहित्य और समाज को झकझोर दिया था. भारतीय समाज में जाति पर आधारित दमन और अपमान की साहसभरी कथा कहने कहने वाले यह पुस्तक अब एक क्लासिक मानी जाती है और दलित साहित्य में मील का पत्थर. उत्कृष्ट हिंदी अनुवाद में. ©Samvad Prakashan
© 2018 Storyside IN (Audiobook): 9789353642334
Translators: Sanjya Bhise
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Audiobook: 29 March 2018
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Step into an infinite world of stories
Overall rating based on 12 ratings
Heartwarming
Thought-provoking
Cozy
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Showing 3 of 12
Ramkrishna
8 May 2022
Good
अरुण अण्णासाहेब कागबट्टे
6 Sept 2022
दलीत साहित्य की अजरामर कलाकृती हैसुंदर , मन को भा गयी
Madan
19 Apr 2021
Not so good
English
India