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Cover for Main Hijra Main Lakshmi

Main Hijra Main Lakshmi

Duration
8H 26min
Language
Hindi
Format
Category

Biographies

जोग जनम’ की साड़ी ओढ़कर ‘लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी उर्फ़ राजू’ उस अंग समेत जिसे लेकर पुरुषप्रधान समाज अहंकार में डूबा अपनी ज़ुबान से गालियों में दुनिया भर की औरतों को भोग चुका होता है, हिजड़ा समुदाय में शामिल हो गया। सदमा लिंग व लिंगविहीन दोनों समुदायों में था। क्यों यह बच्चा नर्क में गया। केवल एक शख़्स था जिसके माथे से तनाव की लकीरें मिट गयी थीं, वह था लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी। लक्ष्मी कहती है, ‘‘मैं सोई मुद्दत बाद ऐसी गहरी नींद जिससे रश्क किया जा सके।’’ इसी दिशा में मैं अपनी पहचान और हैसियत बनाऊँगी। और मैं गलत नहीं थी डार्लिंग। वही किया, फिर भी कभी-कभी तड़प भरी उदासी भीतर भरती है। मेरी जान! मुझे लगता है जीवन की लय तो हाथ लगती नहीं बस नाटक किये जाओ जीने का। मैं चौंकती हूँ। स्मृति में सिंधुताई (माई) की आवाज़ कौंधती है, बेटा बस स्वाँग किये जा रही हूँ। लक्ष्मी कहती है, कल शाम को घर में बैठे-बैठे रोने लगी। साथ सारे चेले भी रो पड़े। लक्ष्मी की आँखें भरी हैं। मैं मुँह खिड़की की ओर घुमा लेती हूँ। वैशाली लक्ष्मी का हाथ सहलाने लगती है। खिड़की पर ‘कामसूत्र’ से लेकर अनेक बडे़ लेखकों की किताबें रखी हैं। लक्ष्मी ख़ूब पढ़ती है। ख़ूब सोचती है। उसमें चिन्तन की एक धार है। लक्ष्मी ने फिर अपने को दर्द में डुबो लिया। धीरे-धीरे बोलने लगी, जो लोग मुझे चिढ़ाते थे वे ही लोग मेरे शरीर को भोगने की इच्छा रखते थे। पुरुष को किसी भी चीज़ में यदि स्त्रीत्व का आभास मात्रा हो जाय वह उसे अपने क़दमों तले लाने के लिए पूरी ताकत लगा देता है। लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी उर्फ़ राजू अब नयी दुनिया का वाशिन्दा था। इसी नयी दुनिया का अनदेखा-अनजाना चेहरा मौजूद है लक्ष्मी की आत्मकथा में कई भ्रमों, पूर्वाग्रहों को ध्वस्त करती हुई यह आत्मकथा न केवल हमें उद्वेलित करती है बल्कि अनेक स्तरों पर मुख्य समाज की भूमिका को प्रश्नांकित करती है। इस आत्मकथा की महत्ता किसी प्रमाण की मोहताज नहीं है। —शशिकला राय

© 2021 Storyside IN (Audiobook): 9789356048102

Release date

Audiobook: 24 December 2021