Religion & Spirituality
प्रत्येक संस्कृति में सामाजिक एवम् व्यक्तिगत कल्याण हेतु कुछ-न-कुछ धारणाएँ, रीति-रिवाज बनाए गए थे जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं। आज के वैज्ञानिक युग में हम उनका कारण एवम् महत्त्व पता न होने की वजह से उनसे विमुख होते जा रहे हैं और उनके लाभों से वंचित रह रहे हैं
पूज्या गुरुमाँ ‘मधुचैतन्य’ में नियमित रूप से ‘संस्कृति समझें और अपनाएँ’ स्तम्भ के द्वारा भारतीय तथा अन्य संस्कृतियों से जुड़े गूढ़ तथ्यों को अपनी सरल-सुगम भाषा में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती आई हैं ताकि पाठकगण इस अमूल्य ज्ञान को समझें, अपनाएँ एवम् सँजोएँ।
उनके इन्हीं लेखों का संकलन इस पुस्तिका में किया गया है। आशा है, पाठक इस प्रस्तुति का आनंद उठाएँगे।
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© 2021 Babaswami Printing & Multimedia Pvt Ltd (Audiobook): 9781664966826
Release date
Audiobook: 7 April 2021
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प्रत्येक संस्कृति में सामाजिक एवम् व्यक्तिगत कल्याण हेतु कुछ-न-कुछ धारणाएँ, रीति-रिवाज बनाए गए थे जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं। आज के वैज्ञानिक युग में हम उनका कारण एवम् महत्त्व पता न होने की वजह से उनसे विमुख होते जा रहे हैं और उनके लाभों से वंचित रह रहे हैं
पूज्या गुरुमाँ ‘मधुचैतन्य’ में नियमित रूप से ‘संस्कृति समझें और अपनाएँ’ स्तम्भ के द्वारा भारतीय तथा अन्य संस्कृतियों से जुड़े गूढ़ तथ्यों को अपनी सरल-सुगम भाषा में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती आई हैं ताकि पाठकगण इस अमूल्य ज्ञान को समझें, अपनाएँ एवम् सँजोएँ।
उनके इन्हीं लेखों का संकलन इस पुस्तिका में किया गया है। आशा है, पाठक इस प्रस्तुति का आनंद उठाएँगे।
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Audiobook: 7 April 2021
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