एक युवा मन में कितनी कातरता, कितनी बेचैनी उभरकर आयी है, इसका अनुमान आप उपन्यास प्रारम्भ करते ही लगा लेंगे। चौबीस वर्षीय पंकज को जब यह पता चलता है कि उसकी माँ उसकी माँ नहीं है, तब अपने असली माँ- बाप को जानने की तड़प उसे दीवानगी की हदों तक ले जाती है। ये क़िताब इस बात का पुख़्ता सबूत है कि मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम के लेखन में न सिर्फ़ भावनात्मक गहराई थी बल्कि शब्द-शिल्प का अपार कौशल भी था. इसे ऑडियोबुक बनाने के लिए आवाज़ दी है भावना पंकज जी ने। उनके वाचन ने इस क़िताब को वो रंग दिया है, जिसमें अपने शब्दों को भीगा देख कर अमृता जी बेहद ख़ुश होतीं।तो अब "कोरे काग़ज़"आप सुनने वालों के हवाले!
© 2021 Storyside IN (Audiobook): 9789353814625
Release date
Audiobook: 26 February 2021
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एक युवा मन में कितनी कातरता, कितनी बेचैनी उभरकर आयी है, इसका अनुमान आप उपन्यास प्रारम्भ करते ही लगा लेंगे। चौबीस वर्षीय पंकज को जब यह पता चलता है कि उसकी माँ उसकी माँ नहीं है, तब अपने असली माँ- बाप को जानने की तड़प उसे दीवानगी की हदों तक ले जाती है। ये क़िताब इस बात का पुख़्ता सबूत है कि मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम के लेखन में न सिर्फ़ भावनात्मक गहराई थी बल्कि शब्द-शिल्प का अपार कौशल भी था. इसे ऑडियोबुक बनाने के लिए आवाज़ दी है भावना पंकज जी ने। उनके वाचन ने इस क़िताब को वो रंग दिया है, जिसमें अपने शब्दों को भीगा देख कर अमृता जी बेहद ख़ुश होतीं।तो अब "कोरे काग़ज़"आप सुनने वालों के हवाले!
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नेहा
28 Feb 2021
Would love to listen more Amrita pritam books
Nutan
2 Mar 2021
काफ़ी सुंदर पुस्तक हैं| यही जो विषय और लिखावट अमृता प्रीतम जी को अलग बनाती हैं|
बेघर
20 Jul 2021
अमृता प्रीतम अपनी हट के सोच के लिए ही जनी जाती है इस उपन्यास के माध्यम से उन्होंने बहुत सारे पक्ष खोले है और मुश्किल से मुश्किल प्रश्नों के बड़े सहज और प्रामाणिक उत्तर निधि महाराज के मुख के कहलवाए है
Nilesh Shashikant
28 Feb 2021
Nice story
Jack
4 Apr 2021
Such a wonderful story, dives deep in the heart and equally to the mind as well. All characters and their conversations are so engaging and thought provoking especially listening to Nidhi Maharaj was really a bliss. Very much recommended read (listen). Kudos to Amrita Pritam Ji and the narrator as well.
Gurpreet
23 Jun 2021
Pure magic. Amrita g was a true magician of words. Narrator's soothing voice has incresed the effect of the words. Just wonderful
Manjiri
7 Nov 2021
A good take at a common story. Loved how main characters thoughts and feelings have come across in the book.
Amartya
1 Aug 2021
जीवन पर यह शोध, यह मूल्य बड़ा अद्भुत है।स्त्री मन की व्यथा, व्यक्तित्व के भटकाव की रोचक व्याख्या है।सचमुच अम्रीता प्रीतम रोचक हैं।
manish
13 Sept 2021
सच न जानने के कारण व्याकुलता और सच जानने के बाद की व्याकुलता का बेहतरीन शब्द चित्रण । पठनीय ।
Siddharth
13 Dec 2023
एक अप्रतिम अनुभव👌आयुष्य हे अनाकलनीय घटनांनी भरलेले असते..किंबहुना आयुष्यात पूर्वी काय घडलं आहे आणि ते त्यावेळेस तसंच का घडलं..त्यावेळची परिस्थिती काय होती...एखादी व्यक्ती एखाद्या परिस्थितीत कशी वागेल? हे आपण सांगू शकत नाही... प्रस्तुत कथेतील नायक पंकज 24 वर्षांचा इंजिनिअरिंगचा विद्यार्थी आहे..आणि त्याच्या आईचं निधन होतं आणि त्यानंतर त्याच्या आयुष्यातील अनेक गुपितं त्याला समजतात जिला आपण आई समजत होतो,ती आई नाहीये...आपण दत्तक पुत्र आहोत...मग सुरु होतो प्रवास कोण आहेत खरे आई-वडील? आता कुठे आहेत? आणि मग त्याचा हा भावनिक प्रवास आणि कथेतील इतर पात्रांशी त्याचे बदलत जाणारे नाते संबंध!!!त्याच्या बरोबर आपणही वाहवत जातो आणि त्याच आयुष्य जगू लागतो..यादरम्यान अमृता प्रीतम नातेसंबंधआणि जगण्याची फिलॉसॉफी सांगतात...ते सर्व अप्रतिम👌जणू आपल्याला जगणंच शिकवतात...एक अप्रतिम अनुभव...भावना पंकज यांचं अभिवाचन खूपच छान🙏
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