‘लज्जा’ की शुरुआत होती है 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद तोडे़ जाने पर बांग्लादेश के मुसलमानों की आक्रामक प्रतिक्रिया से। वे अपने हिन्दू भाई-बहनों पर टूट पड़ते हैं और उनके सैकड़ों धर्मस्थलों को नष्ट कर देते हैं। लेकिन इस अत्याचार, लूट, बलात्कार और मन्दिर ध्वंस के लिए वस्तुतः जिम्मेदार कौन है? कहना न होगा कि भारत के वे हिन्दूवादी संगठन, जिन्होंने बाबरी मस्जिद का ध्वंस कर प्रतिशोध की राजनीति का खूँखार चेहरा दुनिया के सामने रखा, भूल गये कि जिस तरह भारत में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं, उसी तरह पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। लेखिका ने ठीक ही पहचाना है कि भारत कोई विच्छिन्न जम्बूद्वीप नहीं है। भारत में यदि विष फोडे़ का जन्म होता है, तो उसका दर्द सिर्फ भारत को ही नहीं भोगना पडे़गा, बल्कि वह दर्द समूची दुनिया में, कम से कम पड़ोसी देशों में तो सबसे पहले फैल जाएगा। अतः हम सभी को एक-दूसरे की संवेदनशीलता का ख़याल रखना चाहिए और एक ऐसे सौहार्दपूर्ण समाज की रचना करनी चाहिए जिसमें हिन्दू, मुसलमान तथा अन्य सभी समुदायों के लोग सुख और शान्ति से रह सकते हैं। (C) 2018 Vani Prakashan
© 2018 Storyside IN (Audiobook): 9780430017045
Release date
Audiobook: 18 May 2018
‘लज्जा’ की शुरुआत होती है 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद तोडे़ जाने पर बांग्लादेश के मुसलमानों की आक्रामक प्रतिक्रिया से। वे अपने हिन्दू भाई-बहनों पर टूट पड़ते हैं और उनके सैकड़ों धर्मस्थलों को नष्ट कर देते हैं। लेकिन इस अत्याचार, लूट, बलात्कार और मन्दिर ध्वंस के लिए वस्तुतः जिम्मेदार कौन है? कहना न होगा कि भारत के वे हिन्दूवादी संगठन, जिन्होंने बाबरी मस्जिद का ध्वंस कर प्रतिशोध की राजनीति का खूँखार चेहरा दुनिया के सामने रखा, भूल गये कि जिस तरह भारत में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं, उसी तरह पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। लेखिका ने ठीक ही पहचाना है कि भारत कोई विच्छिन्न जम्बूद्वीप नहीं है। भारत में यदि विष फोडे़ का जन्म होता है, तो उसका दर्द सिर्फ भारत को ही नहीं भोगना पडे़गा, बल्कि वह दर्द समूची दुनिया में, कम से कम पड़ोसी देशों में तो सबसे पहले फैल जाएगा। अतः हम सभी को एक-दूसरे की संवेदनशीलता का ख़याल रखना चाहिए और एक ऐसे सौहार्दपूर्ण समाज की रचना करनी चाहिए जिसमें हिन्दू, मुसलमान तथा अन्य सभी समुदायों के लोग सुख और शान्ति से रह सकते हैं। (C) 2018 Vani Prakashan
© 2018 Storyside IN (Audiobook): 9780430017045
Release date
Audiobook: 18 May 2018
Step into an infinite world of stories
Overall rating based on 295 ratings
Sad
Thought-provoking
Informative
Download the app to join the conversation and add reviews.
Showing 10 of 295
Atul
10 May 2020
must read to understand the status of minorities in Bangladesh.
Amit
23 Nov 2020
A nicely written and narrated. Its sad but thought provoking. A writer who felt what was written. A perfectly 👌 narrated. A mirror to humanity.
Mahesh
22 Jan 2021
Muslims ki pol khol kitaab hai. Taslima mam is amazing.
Nandini Gautam kadam
21 May 2021
भयानक सत्य कधी आपण माणूस म्हणून जगणार आणि जगू देणार .सुन्न व्हायला होते.लेखिकेच्या लेखणीला विचारांना सलाम
Benudhar
29 Apr 2020
Mesmerising, Vivid picture of falling humanity
अरुण अण्णासाहेब कागबट्टे
27 Apr 2022
हिंदु पर हूये अत्याचार की सही कहानी विदित की है. रोंगटे खडे होते है.
Abhay
28 Jan 2024
Avarage
Prakash
15 Aug 2022
Very Horrible situations is going on in our neighbour country. And no one is talking about it, neither human rights nor other countries. Hindus day by day forced to convert or to live countries. Though it's known by every one we are acting of sleeping by closing eyes.
Santosh
27 Sept 2023
This is an emotional threat to minority Hindus in Bangaladesh after the destruction of Babari Masid in India.
Chaitanya
22 Sept 2020
Secularism is forced upon one community while other can enjoy whatever they want due to vote bank politics. Perfect eye opener for so called seculars. Reminder that history repeats if you do not learn from it.
English
India