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Biographies
वासना, दुर्वासना, नवासना से परे
उपासना की पहचान – संत तुलसीदास
राम भक्तों की बात हो तो हनुमान जी के बाद जो सबसे पहला नाम ज़हन में आता है, वह तुलसीदास जी का। राम भक्तों के मध्य उन्हें वही दर्जा प्राप्त है, जो कृष्ण भक्तों में मीरा, सुदामा और सूरदास को। वैसे तो संसार में अनेक भक्त हुए हैं लेकिन जिन भक्तों ने अपने भक्ति भाव और समझ को लेखनी दी, वे जनमानस के बीच सदैव के लिए अमर हो गए।
तुलसीदास जी की कलम से राम भक्ति की ऐसी गंगा बही, जिसमें डुबकी लगाकर लोग आज भी पावन हो रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक एक अनाथ बालक ‘रामबोला’ से ‘गोस्वामी तुलसीदास’ बनने की संपूर्ण यात्रा का चित्रण है। साथ ही इसमें तुलसीदास जी द्वारा रचित भक्ति, ज्ञान, नीति, लोक व्यवहार जैसे गुणों पर आधारित कुछ रचनाओं का उनमें छिपी समझ के साथ वर्णन है। इस ग्रंथ में तुलसीदास जी के अनुपम चरित्र के साथ आप जानेंगे-
– भक्तों को भी विकार कैसे घेर सकते हैं?
– आसक्ति और प्रेम में क्या अंतर है?
– राम वास्तव में कौन हैं, हनुमान कौन हैं?
– ऐसी भक्ति कैसे पाएँ, जो राम से मिला दे?
– वासना, दुर्वासना, नवासना और उपासना में क्या अंतर है?
– क्या भक्ति के लिए संसार छोड़ना ज़रूरी है या संन्यास और संसार में संतुलन स्थापित किया जा सकता है?
– संसार में रहते हुए भी माया और राम दोनों को साथ में कैसे साधें?
आइए, इन सभी सवालों के जवाब तुलसीदास द्वारा बहाई गई राम नाम की गंगा में डुबकी लगाते हुए जानें। हम भी राम के प्रेम में तुलसी समान प्रेममय हो जाएँ।
© 2021 WOW Publishings Pvt Ltd (Audiobook): 8581672638002
Release date
Audiobook: 1 January 2021
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