पहली पुस्तक कृति के रूप में किसी युवा लेखिका का सीधा उपन्यास प्रकाश में आये तो यह साहस और प्रशंसा का विषय है क्योंकि उपन्यास विधा ऐसी विधा है जिसे साधना या तो अभ्यास के साथ आता है, या यह विधा साधने की प्रतिभा आप में प्रकृति प्रदत्त होती है। अणुशक्ति ने दूसरा साहस किया है पौराणिक-मिथकीय पात्र चुनकर। वह भी ऐसा पात्र जिसके आस-पास प्रकाशित पात्र पहले से हैं जिन पर कथा, कविताएँ रचे जा चुके हैं। 'शर्मिष्ठा' इन चमकते सौर मण्डल के सदस्यों ययाति, पुरुरवा, देवयानी और शुक्राचार्य के बीच एक संकोची चन्द्र रही है। इसे अपने जीवनीपरक उपन्यास के माध्यम से प्रकाश में लाने का सार्थक प्रयास किया है अणुशक्ति ने। शुक्राचार्य की पुत्री, घमण्डी, महत्वाकांक्षी और ईर्ष्यालु देवयानी के समक्ष असुरराज वृषपर्वा की पुत्री राजकुमारी शर्मिष्ठा सर्वगुण सम्पन्न होते हुए भी अपने निश्छल व्यक्तित्व के चलते राजकीय जीवन और स्वतन्त्रता हार जाती है और देवयानी की दासी बनकर रहती है। फिर चाहे ययाति से उसे प्रेम और पुत्र प्राप्ति हो । हस्तिनापुर तो वही है न, जहाँ से कोई स्त्री आहत मर्म लिए नहीं लौटती। शर्मिष्ठा के जीवन-संघर्ष को बड़े सुन्दर ढंग से पिरोया गया है इस उपन्यास में। भाषा इतनी सारगर्भित है कि कितना बड़ा कालखण्ड, परिवेशों, कितने-कितने चरित्रों और घटनाओं को सहज ही इस उपन्यास के कलेवर में समेट लेती है। अणुशक्ति ने पौराणिक अतीत से एक पात्र शर्मिष्ठा को चुनकर एक रोचक और पठनीय उपन्यास रचा है...जिसका कथ्य गहरे कहीं समकालीन प्रवृत्तियों पर भी खरा उतरता है। अणुशक्ति को साधुवाद। - मनीषा कुलश्रेष्ठ
Release date
Audiobook: 19 February 2021
पहली पुस्तक कृति के रूप में किसी युवा लेखिका का सीधा उपन्यास प्रकाश में आये तो यह साहस और प्रशंसा का विषय है क्योंकि उपन्यास विधा ऐसी विधा है जिसे साधना या तो अभ्यास के साथ आता है, या यह विधा साधने की प्रतिभा आप में प्रकृति प्रदत्त होती है। अणुशक्ति ने दूसरा साहस किया है पौराणिक-मिथकीय पात्र चुनकर। वह भी ऐसा पात्र जिसके आस-पास प्रकाशित पात्र पहले से हैं जिन पर कथा, कविताएँ रचे जा चुके हैं। 'शर्मिष्ठा' इन चमकते सौर मण्डल के सदस्यों ययाति, पुरुरवा, देवयानी और शुक्राचार्य के बीच एक संकोची चन्द्र रही है। इसे अपने जीवनीपरक उपन्यास के माध्यम से प्रकाश में लाने का सार्थक प्रयास किया है अणुशक्ति ने। शुक्राचार्य की पुत्री, घमण्डी, महत्वाकांक्षी और ईर्ष्यालु देवयानी के समक्ष असुरराज वृषपर्वा की पुत्री राजकुमारी शर्मिष्ठा सर्वगुण सम्पन्न होते हुए भी अपने निश्छल व्यक्तित्व के चलते राजकीय जीवन और स्वतन्त्रता हार जाती है और देवयानी की दासी बनकर रहती है। फिर चाहे ययाति से उसे प्रेम और पुत्र प्राप्ति हो । हस्तिनापुर तो वही है न, जहाँ से कोई स्त्री आहत मर्म लिए नहीं लौटती। शर्मिष्ठा के जीवन-संघर्ष को बड़े सुन्दर ढंग से पिरोया गया है इस उपन्यास में। भाषा इतनी सारगर्भित है कि कितना बड़ा कालखण्ड, परिवेशों, कितने-कितने चरित्रों और घटनाओं को सहज ही इस उपन्यास के कलेवर में समेट लेती है। अणुशक्ति ने पौराणिक अतीत से एक पात्र शर्मिष्ठा को चुनकर एक रोचक और पठनीय उपन्यास रचा है...जिसका कथ्य गहरे कहीं समकालीन प्रवृत्तियों पर भी खरा उतरता है। अणुशक्ति को साधुवाद। - मनीषा कुलश्रेष्ठ
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Audiobook: 19 February 2021
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Showing 6 of 39
Nilesh Shashikant
1 Mar 2021
Nice
Ankit
8 Oct 2021
I was always skipping this book , But today I started listening to it ,and didn't stop until its done.
Pragya
18 Mar 2021
सुंदर संस्कृत निष्ठ हिंदी सुन मन गदगद हो गया। इसे सुनना सार्थक रहा। समय का सदुपयोग हुआ है। वाचन उच्च कोटि का है। सुनते सुनते मैं वन, उपवन, यमुनालय, प्रासाद सब ओर होती आयी। प्रत्येक व्यक्ति के सौंदर्य का सजीव चित्रण मेरी आँखों के समक्ष होता रहा। उपन्यास को भरपूर जिया और दो दिनों में आराम आराम से सुना है। कुछ अंश मैने दोबारा सुने ,एक वो जिसमें शर्मिष्ठा ध्यानस्थ किसी योगी की तरह खो जाना चाहती है लेकिन पुरु का प्रश्न करते रहना उसे दुनिया मे वापिस ले आता है। स्त्री के प्रति निर्ममता का सजीव चित्रण है। सच में स्त्री का जीवन हमेशा कम आंका गया। चैप्टर सेवन में शर्मिष्ठा जब दिशा से चित्रलेखा के बारे में पूछती है तब श्रोता को भी सब निरर्थक प्रतीत होने लगता है। भाषा बहुत ही सुंदर है। प्रसंग को इतने अच्छे से एक दूसरे में गूँथा गया है कि मन हो रहा इस दुनिया के एक छोर पर खड़ी होकर कहूँ देखो, मेरा भारत स्टोरी टेलिंग का देश ऐसे ही नहीं, ऐसी होती है एक रोचक कहानी। 2020 में 1990 वाली हिंदी जीना रोमांचक रहा। पूरा घटनाक्रम कहानी के आभूषण में आंदोलन करने वाला असर छोड़ गया।
Madan
7 Mar 2021
Good writing and narration, could've been shorter.
Sandip
13 Dec 2021
Good
Rajendra
2 Sept 2023
Very nice
English
India