Kaluram
24 Aug 2021
दयनीय स्थिती हिंदू पंडितांची.
‘कश्मीर ३७० किलोमीटर’ यह उपन्यास कश्मीर के सामाजिक ताने बाने को वक्त के साथ ध्वस्त होने की कहानी बयां करता है और साथ ही वहाँ के शर्मनाक व दहशतनाक सामाजिक पहलुओं की गहन पडताल भी करता है| किस्सागोई शैली में लिखा गया यह उपन्यास पागलपन और साम्प्रदायिक उन्माद में हिंसक हो चुके समाज की व्यथा-कथा है| कश्मीर जैसे ज्वलंत विषय पर बिना किसी पूर्वग्रह और बोझिल विश्लेषण से बचते हुये लेखक ने पुस्तक की जानकारियों को स्वाभाविक अंदाज में संप्रेषित किया है|
Release date
Audiobook: 31 March 2021
‘कश्मीर ३७० किलोमीटर’ यह उपन्यास कश्मीर के सामाजिक ताने बाने को वक्त के साथ ध्वस्त होने की कहानी बयां करता है और साथ ही वहाँ के शर्मनाक व दहशतनाक सामाजिक पहलुओं की गहन पडताल भी करता है| किस्सागोई शैली में लिखा गया यह उपन्यास पागलपन और साम्प्रदायिक उन्माद में हिंसक हो चुके समाज की व्यथा-कथा है| कश्मीर जैसे ज्वलंत विषय पर बिना किसी पूर्वग्रह और बोझिल विश्लेषण से बचते हुये लेखक ने पुस्तक की जानकारियों को स्वाभाविक अंदाज में संप्रेषित किया है|
Release date
Audiobook: 31 March 2021
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Showing 6 of 47
Kaluram
24 Aug 2021
दयनीय स्थिती हिंदू पंडितांची.
Monu
16 Feb 2022
Good
Madan
26 Apr 2022
Good. One time read kind of book
Abhijit
4 Jul 2021
Inspiring book
Sagar
18 Jul 2022
Good
Dushyant
28 May 2021
Unrealistic
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India